सुदामा चरित्र का वर्णन सुन भाव विभोर हुए श्रोता
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जौनपुर। श्रीमद्भागवत कथा के विश्राम दिवस पर कथा वाचक अखिलेशानंद जी महाराज ने सुदामा चरित्र का वर्णन कर श्रोताओं को भावविभोर कर दिया। कथावाचक ने संदीपनी आश्रम में एक गुरु के शिष्य रहे भगवान कृष्ण और सुदामा की मित्रता का वर्णन करते हुए बताया कि भगवान की कृपा हर भक्त को समान रूप से मिलती है। भगवान राजा और रंक में कोई भेद नहीं करते हैं। भगवान के बाल सखा सुदामा गरीब थे, लेकिन उनका एक-दूसरे के प्रति गहरा प्रेम और समर्पण था। कथावाचक ने भगवान के प्रति भक्ति में ऐसा ही समर्पण लाने की बात कही। उन्होंने गृहस्थ धर्म का पालन करने की सीख देते हुए कहा कि गृहस्थ में रह कर अपने कर्तव्यों की पालन करने के साथ ही भगवत भक्ति करनी चाहिए। कहा कि जब भी भक्त पर किसी प्रकार का संकट आता है और भक्त निश्छल भाव से भगवान को पुकारता है, भगवान भक्त के सभी दुख को दूर कर देते हैं। भगवान भाव के भूखे होते हैं। सुदामा के संकट को भी भगवान कृष्ण ने दूर किया था। इस अवसर पर आयोजक विजय त्रिपाठी,राम शंकर त्रिपाठी, मनोज, आशीष, विष्णु शंकर त्रिपाठी, संजय कुमार त्रिपाठी, सुनील तिवारी सहित क्षेत्र के अन्य लोग मौजूद रहे।