उत्साह से लवरेज बच्चों के बीच पहुंची लेडी सिंघम तो छलक पड़ी ममता और करुणा
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जन्माष्टमी पर्व के शुभ अवसर पर खाकी जूनियर क्रेच के बच्चों के साथ आयोजित जन्माष्टमी पर्व मे बच्चों के प्रदर्शन के आधार पुरस्कृत करने पहुंची थीं महिला थाना प्रभारी
सामूहिक प्रगति के पथपंथी, सज्जन का सम्मान और दुर्जन को दंड सिद्धांत पर कार्य कर उत्तर प्रदेश सरकार के मिशन शक्ति अभियान को धरातल पर उतरने मे बाधक बन रहे सोहदों के लिए जेल का द्वार खोलकर उनके इरादों को बालू की भीत की तरह धराशाई कर महिलाओं को आत्मरक्षा के गुण सीखा कर समाज में भय मुक्त माहौल प्रदान करने वाली लेडी सिंघम डॉक्टर शालिनी सिंह का नाम आते ही आम जन मानस में एक अनुशासित कर्तव्य निष्ठ और सख्त व्यक्तित्व के रूप में छवि बनती है अपने कर्तव्यों के बल पर प्रदेश के पोर्टल पर अपना स्थान बनाने वाली डॉक्टर शालिनी सिंह बच्चों के बीच पहुंची तो उत्साह से लबरेज बच्चों के बीच उनका वात्सल्य प्रेम और करुणा बरबस उमड़ पडा मौका था
जन्माष्टमी पर्व के शुभ अवसर पर खाकी जूनियर क्रेच के बच्चो के साथ जन्माष्टमी का पर्व पर आयोजत किया गयाखाकी जूनियर क्रेच के बच्चो द्वारा विभिन्न प्रोग्राम
छोटे-छोटे बच्चों के बीच पहुंची लेडी सिंघम ने बच्चों के निश्चिल प्रेम के समुद्र में इस तरह गोता लगाया कि कुछ देर के लिए अतीत के भंवर में डूब गई बागी बलिया की उर्वरा धरती पर पली और बड़ी हुई लेडी सिंघम को अपना बचपन याद आने लगा बच्चों के साथ अपने बचपन को याद कर भावुक लेडी सिंघम को देखकर साथ में चलने वाली महिला कांस्टेबल भी सत्य और कर्तव्य निष्ठा के दौरान अनुशासित डॉक्टर शालिनी सिंह के दिल में छुपा वत्सल प्रेम ममता और करुणा के उमडते सैलाब को देखकर दंग रह गई लेडी सिंघम के कार्यशैली में आसपास के लोगों को यह संदेश दिया कि खाकी के कर्तव्यों को निर्वहन में सख्ती भले जरूरी है लेकिन जब कोई समर्पित और निश्चल भाव से राष्ट्रहित की बात करता है तो खाकी के भीतर छुपा मानवता और मोम सा हृदय भी प्रदर्शित होने लगता है उच्च शिक्षा प्राप्त डॉक्टर शालिनी सिंह अपने कार्यशैली और सूझबूझ के बदौलत तमाम अपराधियों को घसीट कर कानून की चौखट पर लाने का काम किया जो समाज के लिए नासूर बन गए थे जिससे विभाग का सर फक्र से ऊंचा हुआ है कार्यक्रम में बच्चों के साथ सरल और सौम्य व्यवहार कर जब उन्होंने पुरस्कृत किया तो बच्चे भी भाव विभोर हो गए कार्यक्रम समापन के बाद विदाई के दौरान बच्चों के आंखों में कहीं ना कहीं खाकी से मिले प्यार और दुलार के लिए आभार और दूर जाने गम मौन रूप में दिख रहा था